
पुणे: RTE (राइट टू एजुकेशन) कोटा के तहत प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का एडमिशन पाने के लिए फ़र्ज़ी रेजिडेंशियल डॉक्यूमेंट जमा करने के आरोप में 18 अभिभावकों के खिलाफ बवधान पुलिस ने केस दर्ज किया है। यह घटना जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच मातलवाडी, भुगांव क्षेत्र में सामने आई। क्या है RTE का नियम? RTE एक्ट के मुताबिक, प्राइवेट स्कूलों में 25% सीट्स गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए रिजर्व होती हैं। एडमिशन के लिए यह ज़रूरी है कि परिवार स्कूल के निर्धारित एरिया में रहता हो। लेकिन पुलिस का आरोप है कि आरोपी अभिभावकों ने फेक एड्रेस प्रूफ बनाकर कोटा का गलत फायदा उठाया। कैसे पकड़ी गई धांधली? मुल्शी पंचायत समिति की गट शिक्षण अधिकारी सुजाता देशमुख ने शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक इन्क्वायरी कमेटी बनाई, जिसने पुष्टि की कि एडमिशन के लिए जमा किए गए डॉक्यूमेंट्स नकली थे। इसके बाद बवधान पुलिस ने संजय चंद्रकांत भोसले, खंडू दिलीप बिरादर समेत 18 अभिभावकों के खिलाफ BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 318(4), 336(3), और 3(5) के तहत केस दर्ज किया। पुलिस और अधिकारियों की प्रतिक्रिया बवधान पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर अनिल विभूटे ने बताया, “जांच में पता चला कि सभी अभिभावकों ने जानबूझकर गलत जानकारी दी थी। इनकी रेजिडेंसी वास्तव में स्कूल के एरिया में नहीं थी।” वहीं, एजुकेशन डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “RTE कोटा के तहत एडमिशन लेने वाले सभी पेरेंट्स को चेतावनी दी जाती है कि अगर वे फर्जीवाड़ा करते हैं, तो लीगल एक्शन लिया जाएगा। कई बार अधिकारी उनके दिए एड्रेस पर वेरिफिकेशन के लिए भी जाते हैं।” अब क्या है आगे की कार्रवाई? पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ गंभीर कानूनी धाराएं लगाई हैं और जांच जारी है। इस मामले ने RTE कोटा सिस्टम में फ्रॉड रोकने के लिए सख्त वेरिफिकेशन प्रक्रिया की मांग को फिर से उठा दिया है।